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शान्त सुधारस
क्षणों वाला, आतध्यानति दुर्गत का हेतु है। अतः मनीषी को इसका त्याग कर ही देनाचाहिये ।।
विपरीत बुद्धिवश ही जीव रौद्रध्यान करता है । दुष्ट परणामी, दुष्ट चिन्तन वाला जीव रौद्रध्यानी कहाता है । इसके भी चार पाए हैं।
रौद्रध्यान के चार पाए १-हिंसानुबंधी रौद्रध्यान, २--मृषानुबंधी रौद्र ध्यान ३--चौर्यानुबंधी रौद्रध्यान, ४--परिग्रह--संरक्षणानु बंधी रौद्रध्यान १-हिसानुबधी रौद्रध्यान
किसी भी प्राणी को बध किया बंधन में देख कर खुश होना । छोटी जगह में किल-विलाने अनेक प्राणियों को दुखात बिल-बिलाते देखकर खुश होना । तमाशा देखने जैसा मनोरंजन मानना। स्वयं किसी को मारना-मरवाना
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