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________________ चमक उठता है । अत: यहां के डाक्टरों ने अविलम्ब उसे कलकत्ते भेजने की राय दी है । उसके मोटर द्वारा करीमगंज से आने पर सिलचर के डाक्टरों को दिखा कर हवाई अड्डे भेज रहा हूं। साथ में ब्रजरतन जी पारख रहेंगे। इसलिए आप अभो से पागल कुत्ते से कटे रोगी के चिकित्सक डाक्टर की खोज करें और चार बजे दमदम हवाई अड्डे पर उचित व्यवस्था करके तयार रहें।" यह संवाद पाकर मैं स्तब्ध रह गया क्योंकि इस रोग की असाध्यता मालम हो गयो । उसी समय मैंने अपने मित्र श्रीशांतिमलजो मेहता के साथ जा कर डा० सुराणा से परामर्श लिया। उन्होंने मेडिकल कालेज के टोपिकल होस्पिटल के डा. वीरेन्द्रकृष्ण वसु और डा० बनर्जी से मिलकर रोगी को देखने का समय निर्धारित कर लेने का परामर्श दिया। हम लोगों ने वहां जाकर उनकी खोज की। रविवार का दिन होने के कारण उन दोनों डाक्टरों में कोई भी उस समय उपस्थित नहीं था । अन्त में दफ्तर में डाक्टरों की एक सूची मिल गयी। जिससे उन डाक्टरों के घर का पता व टेलीफोन नम्बर मालूम किया और उनसे डा० सुराणा और उपरोक्त दोनों डाक्टरों से सम्पर्क स्थापित किया । ठीक चार बजे सिलचर का प्लेन दमदम हवाई अड्डे पर पहुंचा और श्री वृजरतनजी पारख के साथ उतरते हुए मनोहर को लेकर हम ने उसे मोटर में बिठाया। उसने वहां जल पीने की इच्छा व्यक्त की और हमने सन्तरा खाने को कहा पर मुंह के पास ले जाते ही चौंक उठा । हम सीधे डा० सुराणा के यहां पहुंचे । उसका पानी पीने का आग्रह था अतः दो बार जल मंगाया गया और ने ज्यों ही ग्लास सामने की वह भड़क कर बेकाबू हो जाता था। आधी घंटा प्रतीक्षा करने पर डाक्टर साहब आये और पंखा खोलने पर एवं पानी सामने आते ही चौंक उठने के लक्षण देखकर हमें भविष्य निराशाजनक बतलाया Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003824
Book TitlePanch Bhavnadi Sazzaya Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherBhanvarlal Nahta
Publication Year1964
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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