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________________ दिगमगणह अंधार आण खुरासाणक ओल्ला । दरमरि दमसि विपक्ख मारम ढिल्ली महं ढोल्ला ॥ यहां पांचवी पंक्ति में 'खुरासाण' शब्द को देखते ही, यह परिणाम निकालना ठीक न था कि कवि के मतानुसार हम्मीर ने खुरासान पर विजय प्राप्त की थी और उस देश के शासक को 'भोल' में ले आया। यहां प्रसंग दिल्ली या दिल्ली राज्य पर आक्रमण का है, खुरासान पर किसी चढ़ाई का नहीं। इसलिए देखने की आवश्यकता तो यह थी कि खुरासान का कोई दूसरा अर्थ है या नहीं। डिंगलकोष को.आप उठाकर देखते या किसी वृद्ध चारण को पूछते तो आपको ज्ञात होता कि यहां खुरासान शब्द मुसलमान के अर्थ में प्रयुक्त हैं। कविराजा मुरारिदान ने मुसलमान शब्द के ये पर्यायवाची शब्द दिए हैं: रोद खद खदड़ो तुरक मीर मेछ कलमाण । मुगल असुर बीबा मियां रोजायत खुरसाण ॥ ५७३ ॥ कलम जवन तणमीट (कह) खुरासान अर खान, चगथा आसुर (फेर चव मानहु ) मूसलमान ॥५७४ ॥ पृथ्वीराज के प्रसिद्ध पत्र में भी खुरसाण इसी अर्थ में प्रयुक्त है: धर रहसी, रहसी धरम खप जासी खुरसाण । अमर विसम्मर ऊपरी, राखो नहचो राण ॥ पद्य के प्रसंग और डिंगलकोष के इस अवतरण से स्पष्ट है कि 'खुरसाण' का अर्थ दिल्ली का कोई मुसलमान ही हो सकता है। इसके खुरासान तक पहुँचने की आवश्यकता नहीं है। हम्मीर के विषय के कुछ अन्य पद्य भी प्रकृतपैङ्गलम् में हैं । एक में Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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