________________
(५८
)
इसका वास्तविक नाम रन्तःपुर (रण की घाटी में स्थित नगर) है, और रण उस पहाड़ी का नाम है जो उसकी ऊपरी ओर है (अकबरनामा, २, पृ. ४९०), रणथंभोर के दुर्ग को हस्तगत करने के लिए अकबर ने रण की घाटी के निकट ऊंची सबात बनाई और रण की पहाड़ी पर से यथा तथा सबात के सिर तक पत्थर फेंकनेवाली तोपें पहुँचाई। ।
वीरविनोद में भी लिखा है, "ऊपर जाकर पहाड़ की वलन्दी ऐसी सीधी है कि सीढ़ियों के द्वारा चढ़ना पड़ता है और चार दाजे आते हैं। पहाड़ की चोटी करीब एक मील लम्बी और इस कद्र चौड़ी है, जिस पर बहुत संगीन फसील बनी हुई है। जो पहाड़ की हालत के मुवाफिक ऊँची और नीची होती गई है और जिसके अन्दर जा बजा बुर्ज और मोर्चे बने हुए हैं।"
इम्पीरियल गजेटियर में भी प्रायः यही बातें हैं। साथ ही यह भी लिखा है कि पूर्व की ओर नगर है जिसका दुर्ग से सम्बन्ध पैड़ियों द्वारा है।
डा० ओझा का भी यह टिप्पण पठनीय है, "रणथंभोर का किला अंडाकृति वाले एक ऊँचे पहाड़ पर बना है, जिसके प्रायः चारों ओर अन्य ऊँची ऊँची पहाड़ियाँ आ गई हैं जिनको इस किले की रक्षार्थ कुदरती बाहरी दीवारें कहें, तो अनुचित न होगा। इन पहाड़ियों पर खड़ी हुई सेना शत्रु को दूर रखने में समर्थ हो सकती है। इनमें से एक पहाड़ी का. नाम रण है जो किले की पहाड़ी से कुछ नीची है और किले तथा उसके बीच बहुत गहरा खड्डा होने से शत्रु उधर से तो दुर्ग पर पहुँच ही नहीं सकता।” ( उदयपुर का इतिहास, भाग १, पृ० ४)
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org