________________
१८. “हम्मीर के १८. इन चौपाइयों में कहीं यह निर्देश नहीं योद्धा तलवार सेल और है कि इस पक्ष के योद्धा इन अस्त्रों को और विपक्ष सींगनियों से बाण चला के योद्धा उनसे मिन्न अस्त्रों को प्रयुक्त कर रहे थे। रहे थे, जब कि सुल्तानी सेना के ओर से यंत्र, नालें और ढीकुलियां चल रही थीं और ऐयार मार काट कर रहे थे ( १८६१८७)
१९. “पहिले दिन १९. इतिहास और भूगोल दोनों पर बिना का युद्ध समाप्त होने पर ध्यान दिए शायद यही अर्थ संभव हो। लोग भोजन बनाने के दोनों चउपइ ये हैं :लिए लकड़ी जला रहे थे पहिलउ रिण पूरउ लाकड़े, देह आग बाल्यउ तिय भड़े। कि बादशाह का 'फर्मान कटक सहू नइ हुयउ फुरमाण, बेलू नखाउ तिणि वहां से हटने के लिए
ठाणि ॥१९॥ हुआ और सभी लोग सुथण तणी बाधइ पोटली, मीरमलिक वेलू आणइ मरी। अपना सीधा सामान न करइ कोई झूझ गढवाल, वेलू आणइ सहि पोटली लेकर वहां से हट गए"।
॥१९॥ इसके वास्तविक अर्थ के लिए पाठक गण ऐतिहासिक अवतरणों को देख लें। उससे उनको निश्चय होगा कि चौपाइयों का वास्तविक अर्थ निम्नलिखित हैं :
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org