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लूटा है। सुर्जन चरित में इस बात का उल्लेख है कि हम्मीर ने शाही कैप को लूटा और अलाउद्दीन ने
दूत द्वारा इस पर अपना रोष प्रकट किया। (९) वह करमदी बीटि (९) पाठ है :-करमदी बीटी आधी राति ॥६॥ में आधी रात को पहुँच 'बीटी' का अर्थ वही 'घेर लिया' है। उसने गया।
आधी रात करमदी को घेर लिया। 'बीटी' शब्द
हम्मीरायण में अनेकशः प्रयुक्त है। (१०) मीर मुहम्मद नाम (१०) चउपई यह है :का बड़ा पठान था जो मुहिमद मीर मोटा पठाण, बे ऊमटी आव्या खुरसाण । खुरासान से आया था। मुगले काफर ते अति घणा, मलिक मीर मीया नहमणा
॥९९॥ इसमें सरहदी अनेक जातियों के नाम हैं जो सुल्तान की सेना में सम्मिलित हुई थीं। मोहमंद, पठान, खुरसाण, मुगल काफिर आदि के नाम स्पष्ट है। मोहम्मदी, मीर, मोटे पठान, खुरसाण समी
उमड़ कर आए थे। (११) "नगर की समस्त ११. चउपई यह है :जनता से मिल कर उसने नगर लोक सहु मिल्या, बद्धावइ चहुआण; बधावा किया।"
गढ बधावइ अति घणउ, भरि भरि अंखि अयाण ॥१४|| ___अर्थ यह है, "नगर के सब लोग मिले। वे चौहाण ( हमीर ) को बधाई देने लगे। अज्ञानी (बेसमझ) लोग आंख भर भर गढ को भी अत्यन्त बधाई देते थे।"
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