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हम्मीरायण
भाडिया गूडर तुअर असंख, सुभट अनेरा आया असंख । गुहिलउत गुहिलाणा उराह, पंवार पधास्या अति उछाह ।।१६३ सोलंकी सींधल अति मंडाणि, चंदेला चाउड़ चाहुआण । राठउड़ मेवाड़ अनइ कुभ, छत्रिस कुली मिलि तिणि आरंभ १६४ हम्मीर राउ हरखियउ अपार, दीठा भलेरा अति झूझार । मंडलीक मउड़धा राणो राणि, सहु मिली आव्या तिणि ठाणि।। १७१ दिया, ठाह-उछाह, दंडायुध दीया, महिमासाहि
उतास्या।
१७३ जत्र, राय चहुआण, उछाह-सुजाण । १७४ कोलाहल हूअउ, दियउ दमामउ, लिया, चडियऊ । १७५ नइ हुवा=देवइ, तिणि, फिरणा। १७६ पठाण=पाला, गढि चिड़िया धणी स्यउजुता। १७७ जे, भाखरि-तापरि, हुवा। १७८ लेहु बे लेहुबे करइ अयार । १६ जिम देखउ। १८० नउ, हुंती, राणि, मंडाणि । १८१-१८२, पद्यांक उदयपुरवाली प्रति में नहीं है। १८३ आलम ऊभो-रिणि ऊपरि । १८४ पड्या हलोल, इसका त्रुटक चतुर्थ चरण उदयपुर की . प्रति से पूरा किया गया है।
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