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प्रस्तुत किया है। समसामयिक लेखक होने के कारण उनके कथन में पर्याप्त सत्य की मात्रा है। माना कि पूर्वाग्रह वश उन्होंने अनेक बातें छिपाई हैं। किन्तु ऐसी बातें भी हमें उनसे प्राप्य हैं जिनके सम्यक् ज्ञान के बिना हम्मीर के जीवन को समझना कठिन है। .
अमीर खुसरो-हम सबसे पहले अमीर खुसरो की रचनाओं को लेते है जिसके इतिहास ग्रन्थों की रचना सन् १२९१ से १३२० के बीच में हुई है। दिबलरानी में ( जिसकी रचना सन् १३१६ की है) अमीर खुसरो ने लिखा है :____ "देहली की विजय के उपरान्त जब सिन्ध और पहाड़ों तथा दरियाओं के प्रदेश सुल्तान के अधीन हो गए तो उसने निश्चय किया कि गुजरात का राय भी उसके अधीन हो जाय। उसने उलुगखाँ को आदेश दिया कि वह उस प्रदेश पर आक्रमण करे। उलुगखाने मुअज्जम झायन की
ओर रवाना हुआ। रणथम्बोर पर उसने बड़ी तेजी से रक्तपात प्रारम्भ कर दिया | वहाँ का राघ हमयाराय ( हम्मीरदेव ) राय पिथौरा के वंश से था। दस हजार सवार देहली से २ सप्ताह में धावा मारकर वहाँ पहुँचे थे। वहां की चहारदीवारी ३ फरसंग के घेरे में थी और पत्थर की बनी हुई थी। (६४.६५) सुल्तान भी युद्ध के लिए वहां पहुँच गया; किन्तु उलुगखाँ को किले पर आक्रमण करने का आदेश देकर स्वयं चित्तौड़ पर अपना अधिकार जमा लिया"।
१. खलजी कालीन भारत, पृ० १७१। २. फरसंग तीन मील के बराबर होता था।
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