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ठकुर-फेरू-विरचित मासे तिहाय ऊणे सडसए दिवढु दम्मु ववहारो। ता सतरहि पाऊणिहिं सवायनवमास किं हवइ ॥ ७४ सट्ठ मणहं भाडइ जोयण सतिहाइ दम्म पउणदुए । ता नव सवा मणाणं किं हुइ दस जोयणे पउणे ॥ ७५ जइ वारस कम्मयरा चहु दिवसिहि तीस दम्म पावंति । पणयालीस दिणेहिं ता किं पावंति अट्ठ जणा ॥ ७६ जइ किरि भित्ति सुवन्नो गुंजूण तिमास पउणवीस धणे ।
ता सड्ढदसी वन्नी गुंजहिय दुमास कइ मुलं ॥ ७७ १९. अथ सप्तराशिकमाह
छ दीह तिकर वित्थर दुइ कंवल नवइ दम्म पावंति ।
नव दीह पंच वित्थरि ता कंवल सत्त कइ मुल्लं ॥ ७८ २०. अथ नवराशिकमाह
चीर बारह पंच वन्नेहि, ते दीहण सत्त कर तिन्नि हत्थ वित्थारु अच्छइ । तहं सव्वहं मुल्लु किउ छ सय दम्म दोसियहि निच्छइ । जइ चहुं वन्निहि अट्ठ कर दीहि पंच वित्थारि ।
ता नव चीरह मुल्लु कइं, कहि दोसिय विच्चारि ॥ ७९ २१. अथ एकादश राशयो(?शीन् ) आह
दु छ ति दु इग पत्थाई जा कर पुड मुंग सट्ठि दम्मेहिं । ___ता नव ति दुग तिकमे पत्थाई मुंग कई मुल्लं ॥ ८० २२. अथ व्यस्तत्रैराशिको(क)माह
मज्झं च आइगुणियं अंतेण विहत्त वित्थ तियरासी । अंताइ एग जाई ठवि मज्झे अंत जाईय ॥ ८१ दह सेइयंमि पत्थे मविया सत्तहिय वीस पत्थाइं । सोलसि सेई पत्थे कह पत्थ हवंति ते कहसु ॥ ८२ छासहि टंकतुल्ले तुलिया मण वीस वक्खरं तइया । जइ वाहत्तरि तुल्ले तुलियं ति हवंति कितिय मणा ॥ ८३
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