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________________ १२ ठक्कुर फेरूविरचित ज्योतिषसार चंद्रबलं सियपक्खे कसिणे ताराबलं सुरिक्खाओ । उ छे नेवुत्तिम दु ईगई मज्झिमा ति पर्णं सत्तऽहमा ॥ ११ ॥ इति ताराबलं जन्मनक्षत्रात् ॥ जो गहु गोयरि अबलो तस्समसुहमंकि जइ गहो कोइ । हुइ वामवेहि सु हो असुहो वि सुहस्स फलु देइ ॥ १२ रवि सणि विणु सणि रवि विणु चंद विणा बुद्धु बुह विणा चंदो । असुहंक समसुहंके सेसस्स गहाण वेहसुहा ॥ १३ गारह तिय दह छ सुहो पण नव चउरंतिमो रवी असुहो । सणि कुजति गार छ सुहा असुहंतिम पंचमा नवमा ॥ १४ सत्तेग छ इक्कारस दह तिय चंदो सुहंकरो भणिओ । दुपणंतिम च नव असुंदरो वामवेहंमि ॥ १५ दु चउ छ अड दह गारस ठाणे बुद्धो महाबली होइ । पण ति नवेगऽते असुहो विय होइ नायव्वो ॥ १६ बीओ इकारसमो नव पंचम सत्तमो य विद्धिकरो । वाट्ट दह चउत्थो तइओ य असुंदरी जीओ ॥ १७ सुक्को इगाई जा पण अट्ठ नविकार अंतिमो सुहओ । अड सत्तिगदह नव पण इक्कारस छ तिय विद्ध सुहो ॥ १८ ॥ इति सूर्यादिग्रहाणां जन्मराशितो वामवेधः, फलाफलम् ॥ पुव्वऽगी जर्म नेरई पच्छिम वायव्व उत्तरीसणं । इय अट्ठदिसा सुकमं पायालाऽऽयाससहिय दसं ॥ १९ ॥ इति दिसाक्रमम् ॥ 1 सिरि' मुहि कंधे ' य भुर्यौ कैरि हियँए नाहि गुझ जाणु पैएं तिति दुदु दु पण इगेगं दु छ रवि रिक्खा उ गण सुकमे ॥ २० For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003822
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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