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प्रथम दिनशुद्धिद्वार
तिय छट्टऽमि तेरसि मूलस्सणि रेवई य असलेसा । मिसिर उत्तरभव इय सिद्धा भूमवारंमि ॥ ८ बीया सत्तमि बारस असलेसा पुस्सु सवण अणुराहा । कित्तिय रोहिणि मियसिरि बुद्धदिणे इय सुहा भणिया ॥ ९ पंचमि दस मिक्कासि पुन्निम अणुराह पुव्वफग्गु करं । पुस्सु पुणव्वसु रेas अस्सणि य विसाह गुरि सिद्धा ॥ १० सु तेरसि नंदा अणुराहा सवण पुव्वफग्गु तियं । उत्तरसाढ पुणव्वसु रेवइ अस्सिणिय रिद्धिकरा ॥ ११ सणि नवमि चउथि अट्ठमि चउदसी सवण साइ रोहिणिया । मह सयभिस पुव्वफग्गु तिहि वार- भि सिद्धिजोय सुहा ॥ १२ ॥ इति वार- तिथि-नक्षत्र - सिद्धियोगः ॥
छट्टिक्कासि चउदसि रवि बारसि तेरसी य सोमदिणे । भूमे पडिव इगारसि तेऽट्ठमि चउदसी बुद्धे ॥ १३ गुरि दु चउ सत्त बारसि नम्वि बीय चउत्थि चउदसी सुके । पण सत्त पुंन दह सणि तिहि वार विरुद्ध जाणेह ॥ १४
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॥ इति तिथि - वार- विरुद्वयोगः ॥
सूराइ बारसीओ इगूणजा छट्ठि कक्कजोगोऽयं ।
रवि ससि सत्त बुहि तिये संवत्तय छ गुरि सुक्कि तिया ॥ १५ ॥ कर्कट - संवर्त्तयोगो ॥
भर चित्तत्तरसाढा धण- उत्तर फग्गु - जिट्ट -रेवइया ।
सूराइ जम्मरिक्खा मुणेह तह वज्जमुसल पुणो ॥ १६
॥ इति जन्मनक्षत्र वज्रमुशलं च ॥
1 दृश्यतां प्रथमं कोष्टकम् | 2 दृश्यतां द्वितीयं कोष्टकम् । 3 दृश्यतां तृतीयं कोष्टकम् । 4 दृश्यतां चतुर्थी कोष्टकम् |
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