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मुसलमानी काल में नष्ट प्रायः हो गये। आज भी खुदाई में यत्र तत्र तीर्थङ्करों व अन्य जैन देवी देवताओं की प्रतिमाएं पूर्ण व खंडित रूप में प्राप्त है व देवी देवता (क्षेत्रीय ) रूप में पूजित हैं। ___ आज सही हालत में प्राचीन जैन मन्दिर कोई नहीं रहा है और जैन धर्म के अनुयायी भी अन्यमती बन चुके हैं।
चैत्य परिपाटी आदि प्राचीन प्रमाणों के आधार पर जो मन्दिर थे, उनकी सूची इस प्रकार है। १. नगरकोट १–साह विमलचन्द्र द्वारा निर्मित शांतिनाथ जिनालय जो ( शहर ) में ___ खरतरवसही नाम से प्रसिद्ध था। प्रतिमाओं की
प्रतिष्ठा आचार्य जिनेश्वरसूरि द्वारा प्रह्लादनपुर में
वि० सं० १३०९ माघ शुक्ला १० को हुई। २–महावीर स्वामी जैन मन्दिर-स्वर्णमयी प्रतिमा ।
मन्दिर राजा रूपचन्द्र द्वारा निर्मित सोवन वसती
कहलाता था। ३–पेथड़साह द्वारा सं० १३२५ में निर्मित पेथड़ वसती आदि
जिन मन्दिर। (किले में) -~-सुशर्मचन्द्र द्वारा निर्मित आदियुगीन आदिनाथ भगवान
का मन्दिर जो गिरीराजवसही के नाम से विख्यात है। -राजा रूपचन्द्र द्वारा १४वीं शताब्दी में निर्मित आलिग वसति जिन मन्दिर जिसमें २४ तीर्थङ्करों की रत्नमय
प्रतिमाएँ थीं। २. गोपाचलपुर : इसका वर्तमान नाम गुलेर है। सं० धिरिराज द्वारा
निर्मापित विशाल शान्तिनाथ जिनालय । ३. नन्दवनपुर : यह व्यास नदी के तट पर स्थित है। यहाँ महावीर
भगवान का जिनालय। ४. कोटिलग्राम : श्री पार्श्वनाथ जिनालय
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