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________________ सिलहत्थो भांडारिउ पोपउ पयंडु जिणियउ पच्छेवाणु पारसु पसंसि नामिहि कत्थ विसिट्ठ मंदागिणि- मुह अचलेसर वर्णसिरि संघ - लोय पिक्खेवि चलिय रेवगिरि समुह ||६|| संति समिद्ध धवली वीरु नमंति कोली पुणि वरकुलि थी उद्दि सिवराणि मानु तिरिवाड़इ जिण नमई संघु भंभूवाड़इ पासु नमिउ संघु उमाहिउ चित्ति घणउ वज्जाणइ वधमाणु नमी अंचिउ जिणवरु संतिनाहु साहेलइ नमि वीरु धोरु खीमचंदु संघपति भत्ति संघिहि तहिं मेघु वलावइ लियउ सधर आवासिउ जूनइगढि जिणहरिहि बूढु दक्खिण कल्याण ऋइ त्रिहु सुठामि आइनहु पूजियउ संघि जिणवरु वीजोयइ रतनागरु जोवइ दोघउ संघपत्ते चहु भुवणिहि भत्ते ॥७॥ सिरि कुमरविहार भणि नेमि कुमार वढमाणि पहूत उ संजूतउ ||८|| मरुदेवी अनु कवड़ जक्खु रहनेमी अंबा पलोइ पजूनह नमी नेमि सामि महापूज करि १३२ ] Jain Educationa International अप्पिउ सम्माणु संघाहि जा भेटिउ तहि महिपालु राणु रेवगिरि आरुहइ पाज नेमिनाथ वज्रमइ बिंबु नमि दंड - प्रणामि पापु हरिउ गयंदमई कुंडि जलि विमल सनानि ॥ १० ॥ वधमाणु सिरिधारिहिं आवई पावइ खेमि करि हमि ||९|| नमि जिणवर बिंब सेजि राजल निरखते अवलोयणि जंते जिणहरि आवंते देइ सुधज दाणिहि वरिसंते ॥ १२॥ For Personal and Private Use Only डिबि ।। ११ । www.jainelibrary.org
SR No.003821
Book TitleNagarkot Kangada Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherBansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti
Publication Year
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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