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निय कुलजः सामिणि देवि अंबिक माइ ज्झाण विलगओ। पर सिन्नु पिखिवि अइ महत्तर सत्र लेसि अभगओ॥ सिरि मेहचंद नरिंद संभवु करमचंद नरेसरो। जसु माणि दाणिहिं चित्तु रंजिउ नित्तु वण्णई कविवरो॥५५।। रूवि सुंदरु तेय मंदिरु बुद्धि विक्कम सायरो। निय सत्त तत्ति विचित्त चित्तउ जस्समित्त मणोहरो।। ऊदारु देवी कंत मणहरु करमचंदु कलायरो। कंगडह सामिओ देहि कामिओ मग्गहै गाह सुहंकरो ॥५६॥ संसारचंद राओ समुल्लसंत तप्पयावि विक्खाओ। सिरि करमचंद पुत्तो सुचरित्तो मणुय जम्मंमि ॥५७।। मिछह नरिंद पेरोजसाहि । दल मेलिहि पत्तउ पातसाहि । कंगुडउ वेढि करि इम कहेइ । मुझ आगइ हींदू कुण रहेइ ।।५।। संसारचंदु रणि भिडण लग्गु । साणेसुतिक्ख करि करिहि खग्गु । मिछह विणासु पोरिसु करेइ । हय हत्थि पत्ति दलु संहरेइ ॥५९॥ हय दाणि माणि रंजिवि नरिंदु । विग्रह मय दूसण तोड़ि कंदु। रंगिहि पणठ पेरोज साहि । तहि देसह हुंत उ रयणि वाहि ॥६०॥ पेरोज पुत्तु महमद साहि । संगामि णठ्ठ दिण रयणि वाहि । सरणाइओरक्खिउ पातसाहिं । संसारचंदि पित्तिहिं पवाड़ि ॥६१॥ वेणी संगमि माधु न्हाइ निय पियर पमोइय । वाणारसि सिरि विसणाहु फरसिवि मल धोइय (इ)। गया सुर तिथिहि पिंड देइ पुव्वज सवि रंजिय । बुद्ध नमंसिवि पाव सयल निय देहहु रंजिय ॥ तियतेसर रायह सत्तगुणि तीरथ पणमिय भाउ धरि । संसारचंदि पुण हसिय वित्थारिय निय कित्ति सिरि ॥२॥
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