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विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि जिण सुरतरु फल चाखियउ,
कुफल गमइ नहीं तोस म्हां०॥७॥ च०।। स्युं कहिरावइ मो भणी,
. तारि तारि करतार म्हां। विनयचन्द्र नी वीनति,
हित धरी नइ अवधार । म्हां ।।८॥ च० ।।
॥ श्री नेमिनाथ स्तवनम् ॥
ढाल-ऊभी राजुलदे राणी अरज करै छै थाहरी तौ मूरति जिनवर राजै छइ नीकी,
शिवसुन्दरि सिर टीकी हो। राणी शिवादेवीजी रा जाया
नेमजी अरज सुणीजै। अरज सुणीजै काई करुणा कीजै,
___ म्हांनइ मुजरौ दीजै हो ॥१॥रा०॥ ते दिन वाल्हां मुझनै कइयंइ आस्यै,
तुम थी मेलौ थास्यइ हो । रा०। अंतर तुम्हारउ माहरउ दूरइ ब्रजस्यइ,
अंगइ सुख ऊपजस्यइ हो ॥२॥रा०॥ हिवणा तउ तुमनइ हियड़ा माँहे धारूँ,
इण भांतइ दिल ठारूँ हो । रा०। आखर थे पिण समझणदार सनेहा,
नवि दाखविस्यौ छेहा हो ॥शारा॥
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