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विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि कठिन हृदय छइ ताहरउ हो लाल,
बज्र थकी पिण जोर ॥ वा०॥ मन हटकी नइ राखिस्यउ हो लाल,
करस्यइ कवण निहोर ॥ वा०॥६॥ आप शरम जउ चाहस्यउ हो लाल,
जवि देस्यउ मुझ छेह ।। वा०॥ भवसायर थी तारस्यौ हो लाल,
'विनयचन्द्र' ससनेह ।। वा० ॥७॥ ॥ श्रीवासुपूज्य स्तवनम् ।।
ढाल-बधावानी श्री वासुपूज्य जिनेसर ताहरी,
___ओलग हो २ मंइ कीधी सही जी। हिव आशा पूरउ प्रभु माहरी,
नहिं तरि हो २ तुझ नइ मेल्हिस्यइ नहीं जी ॥ १॥ तुझ साथइ कोई जोर न चालइ,
___तउ पिण हो २ आडौ मांडिस्युं जी। इम करतां जउ तुं वंछित नालइ, .. तउ त्यारै हो २ तुझनइ छांडस्युं जी ॥२॥ हिवणां तउ हुँ छं, वाल्हा तारै जी सारै,
कहिस्यौ हो २ कह्यौ नहीं पछै जी । बांह ग्रह्यांनी जे लाज वधारै, १. एहवा हो २ नर थोड़ा अछै जी ॥ ३ ॥
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