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तृतीय अधिकार
॥ दूहा ॥ वर्तमान तीरथ धणी, महावीर भगवंत ; नमस्कार तेहनै करूं, उच्छव घरे अनंत ; १ हिवs तीजै अधिकार में, जेह थई छै बात ; नरनारी मन लाय नै, सांभलिज्यो सुविख्यात;२ जँपै एम मदालसा, दासी नै ऊमाहि ; प्रिउड़ो नाव्यौ तो सही, बूडौ सायर मांहि ; ३ दिन जास्यै वि दोहिला, किम रहिसै मुझ प्राण; संता मुझ नै सदा, घट मां पांचे बाण ; ४ दीपक विण मंदिर किसौ, यौवन विण सिणगार; ह विना सी प्रीति जिम, तिम कंता विण नार ; ५ नीरस आहार किया, तप आंबिल मन लाय; साहमी नें संतोषिया, पड़िलाभ्या मुनिराय ; ६ नवा कराव्या देहरा, श्री जिनवर ना चंग ; प्रतिमा सोवन रत्न नी, सकल भरावी अंग ; ७ वलि त्रिकाल पूजा करी, भावन भावी शुद्ध ; उन्नति कीधी अति घणी, धरम कीयौ अविरुद्धः ८ Taai afa मिल्यौ, जो माहरौ भरतार; तौ पंचरत्न दे बहिन नै, लेस्युं संयम भार; ६
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