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[ 8 ] ४-चतुर्विंशतिका स्त० २४ कलश १
सं० १७५५
विजयादशमी, राजनगर ५-शत्रुजय यात्रा स्त० गाथा २१ सं० १७५५ पौष बदी १० यात्रा ६-फुटकर स्तवन, सज्झाय, बारहमासा, गीत आदि २५ कृतियाँ
इनके अतिरिक्त जैन गुजेर कविओ भाग २ पृष्ठ ५२३ में :१-ध्यानामृत रास। २-मयणरेहा चौपाई। एवं जैन गूर्जर कविओ भाग ३ पृ० १३७४ में
३-रोहा कथा चौपई का उल्लेख किया है। श्री देसाई ने प्रथम दो रचनाओंका न तो रचनाकाल व आदि अन्त दिया है
और न प्राप्तिस्थान ही दिया है। विनयचन्द्र नाम के कई कवि हो गए हैं अतः वे रचना इन्हीं कविवर की हैं या और किसी विनयचन्द्र की, नहीं कहा जा सकता। फिर भी मयणरेहा चौपाई व रोहा कथा चौ० की प्रतियाँ हमारे ( श्री अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर) संग्रह में है उनमें से मयणरेहा चौपाई का रचना काल सं० १८७० एवं रचनास्थान जयपुर है उसके रचयिता विनयचन्द्र स्थानकवासी अनोपचन्द के शिष्य हैं। रोहा कथा चौपाई में विनयचन्द्र के गुरु का नाम रचनाकाल नहीं पाया जाता, पर यह कृति भी स्थानकवासी विनयचन्द्र की ही लगती हैं । अतः तीन में से दो तो हमारे कविवर विनयचन्द्र से सौ, सवासौ वर्ष पश्चात् होनेवाले स्थानकवासी विनयचन्द्र की रचनाएँ सिद्ध हो जाती है केवल ध्यानामृतरास ही अनिश्चित अवस्था में रहता है सम्भव है वह हमारे कवि विनयचन्द्र
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