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________________ श्री उत्तमकुमार चरित्र चौपई १२१ साहसी इम कहै दुष्ट पापिष्ट सुणि, ___ सीह सूतो किस्यानै जगायो ; ३ को० नीच तुझ थी इसौ वयर कोई नहीं, नास दौते तृणो लेई निबला ; राति दिन राँक नर मारिवा रड़ वड़े, __ साह न सकीसि मो जिसा सबला; ४को० चित्त मां इम सुणी प्रेतपति चमकीयौ, बाल वय एम सँ वचन बोलै ; किसी वलि देह घट मांहि पोरस किसौ, डिगमिगै वचन मन केम डोलै ; ५ को० वचन काँकल प्रथम माँडि वड वेग सुं, झडा झड़ि झूझ मांड्यौ झड़ाकै ; सड़ा सड़ सोक तीरों तणी सबल द्या, तड़ा तड़ वहै धजवड़ तड़ाकै ; ६ को० झणण धरि बाण करि बणण रमझमक द्य, खसर कसमस हस करि खंगारा ; सणण चिहुँ दिशि नासि सेना चरा, जाण छूटी छलद जलद धारा ; ७ को० धड़ाधड़ि धरणि गडडाट नभ धड़हड़े, राडिदिधरि रीस ते लीय रटका ; खाग्डिदि खेलै खडाखड़ विहुंज सखरई, वडा वडा उडै समसेर वटका ; ८ को० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003819
Book TitleVinaychandra kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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