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विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि ॥ श्रीशत्रुजय यात्रा स्तवनम् ।।
ढाल-कंत तंबाकू परिहरी, एहनी । हारे मोरालाल सिद्धाचल सोहामणो,
ऊँचो अतिहि उत्तंग मोरालाल । सिद्धि वधू वरवा भणी, .
- मानु उन्नत करि चंग मोरा लाल से जा शिखरे मन लागो, .
- साहिबनी सूरति चित लागौ॥ आं०॥ हारे मोरा लाल पालीताणौ तलहटी,
जिहाँ ललितसरोवर पालि ॥ मो०॥ पगला प्रथम जिणंदना,
प्रणमीजे सुविशाल मोरा लाल ॥२॥सेना हारे मोरा लाल प्रणमी नै पाजे चढ़ो, .
समवसस्या जिहां नेम ।। मो० ॥ जिहाँ प्रभु पगला वंदिय,
पूरण धरि नै प्रेम मोरा लाल ॥३॥से०॥ हारे मोरा लाल आगल चढ़ता, अतिभली,
नीली, धवली पर्व ।। मो० ॥ कुंडे कुंडे पादुका,
वंदे भवियण सर्व मोरा लाल ॥४॥सेना हारे मोरा लाल अनुक्रमि पहिला कोट में, .
पेसी कीध प्रणाम । मो० ॥
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