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________________ नेमि राजुल स्तवन जाओ मा वालमा एक वार आवो मुंज घेर नेमि प्रभु वरसावो महेर जाओ मा वालमा पशुनी दया करी परमकृपालु, मुझ पर वरतावी केर.... . जाओ मा० मानव करत तिर्यच करुणा, जग जन कहेशे अंधेर... जाओ मा० वासना विषमय नारी नागणीयो मुझ मां एवं न झेर... जाओ मा० सत्सु साधक उत्तर साधके, धरसुं दाम्पत्य हर्ष भेर... जाओ मा० थाशो श्रमण तो श्रमणी थईश हुं, आपनी छोडुं न केड़ ...जाओ मा० कर्मों खपावी मुक्त थशो तो, आवीश स्वरूप सहेर जाओ मा० भक्ति पराये राजुल विनवे, मांगें सहजानंद लहेर...जाओ मा (९) पार्श्वनाथ स्तवन ( चाल - हुं उजवुं पर्व दीवाली) www.cam जिन मुद्रा धर पास, तजी पर आश, ऊभा निज ध्याने अहिछत्रा नगर उद्याने... जिनमुद्रा Jain Educationa International ... शत्रु वट दस भवनी धरतो, मेघमाली क्रोधे झलहलतो उपसर्ग करे जल धारे, रही नभ छाने अहिछत्रा० तन्मय निज शुद्ध स्वभाव ढल्या, उपसर्ग नाशाय निमग्न छतां न चल्या रह्या देह विदेही भावे, खड्ग जेम म्याने अहिछत्रा० आसन कंपे अहिपति आवे, ऊचकी फणा छत्र शिरे ठावे, प्रिया युत प्रभु गुण गान करे एक ताने ... अहिछत्रा० वंदक निंदक समभाव अहा, ज्ञाता द्रष्टा शुद्ध भाव महा, उदये अणव्यापक साक्षी रह्या निज भाने अहिछत्रा० द्वे विषम भाव संसार तत्ती, समभाव धरयो स्व स्वरूप अति; कृतकृत्य थया सहजानंद दर्शन ज्ञाने ... अहिछत्रा० ... राग- गरबो ..t For Personal and Private Use Only २१ www.jainelibrary.org
SR No.003818
Book TitleSahajanand Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandana Karani, Bhanvarlal Nahta
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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