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शुभ भाव ने कहे छे मंद-कषाय, अने अशुभ भाव ते तीन लाय; तजतां ते शुभाशुभ-अशुद्ध-विभाव यतन थी. छे मोक्ष०३ छूटवां कषाय ते भाव-मोक्ष, देहादि छूटतां द्रव्य-मोक्ष ; ले सहजानंद ए न्याये पद-मोक्ष मथी..छे मोक्ष०४
. मोक्ष नो उपाय पद संत-आज्ञा-भक्ति प्रधान, सुसाध्य निशान,
जीवन डोरी, छे मोक्ष मार्ग ए धोरी... भव-द्वार जतां ए अर्गलाज, रोकी राखे जीवने स्व-काज; भव-पार थया एथी केई पापी अघोरी.. छे मोक्ष० १ मिथ्यात्व= दृश्य-दृष्टि प्रयोग, छूटी सधाय प्रभु नो सुयोग ; चित्त-वृत्ति-निरोध, योग-मार्ग पण ओ...री.. 'छे मोक्ष० २ चित्त-वृत्ति अंतर मां ठरतां, प्रगटे चिद्-ज्योति झगमग त्यां ; पथ-ज्ञान सुधा नी भक्ति सु-मार्ग कटोरी.. छे मोक्ष० ३ सम्यग-दृग-ज्ञान-चारित्र त्रयी, बाह्यान्तर त्याग-विरागमयी; सौ मोक्ष-उपाय अपावे, भक्ति पथोरी.. छे मोक्ष० ४ रे ! रे !! जीव !! तु कर प्रभु-भक्ति, सत्संगे ले गुरुगम युक्ति; तो पामे मुक्ति-ज सहजानंद रंग-रोली.. छे मोक्ष०५ छ-पद-विवेक-फल पद
ता० १२-१०-५७ ओ बोध छ-पद नो कही गया, गुरुराज अनंती कृपा करी, .. स्व-स्वरूप समजवा अहिं कह्या, हरवा निज भांति तिमिर-सरी;
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