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________________ बम्बई चिन्तामणि पार्श्व -स्तवन चिन्तामणि- पार्श्वनाथ - स्तवन ढाल-सूरती महिना नीं दूर | सूर ||२|| जय जय "चिंतामणि" जग नायक, शिव सुखदाय | धवल कमल - दल सोभा धारी, कोमल काय ॥ सुंदर सूरत मूरत सोहै, अतिस कलाप । प्रणमंता पातिक पुलै, सकल मिटै संताप ॥ १ ॥ त्रिभुवन जग जन तारक, वारक क्रम अरि कंद । रणतिंमर कहौ किम रहे, उदयै पूँनिम चंद ॥ दीठी मुद्रा निद्रा जायै दुख नी अंधकार अलगौ पुलै, जिम उगते सुमता सागर यागर, सुभ गुणमणिनां धम | अलवेसर साहिब छो, अम्हचा श्रतमराम ॥ सहजानंद सरूपी ज्ञानानंदी गेह | सकल भविक जन उपर घरीयै विहड नेह ॥ ३ ॥ हितकारी उपकारी साचा श्री जिनराज । भव जल भविजन तारे, जांगे जँगी जिहाज || महिर घरी मणिधारी, पतित जनां प्रतिपाल । सकल देव सिर सोहै, साचो दीन दयाल ||४|| दास खास छु साचो, राज्यो तुझ गुण रंग | प्रीत रीत बहु बाधी, जिम पोयण ने भृङ्ग ॥ Jain Educationa International ( ७५ ) For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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