________________
( ७४ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
काम क्रोध बहु मगर मच्छ है, छकीया मद छोले। सनमुख भारत देखि भविकजन, भय लहै मन भोले। तुम्ह०।३। चरण शरण हिव तो चिंतामणि, आयो तुम्ह खोले। सुध समकित दरसण गुण दीजै, 'अमरसिंधुर' बोलै । तुम्ह०।४।
इति सम्यक्त्वपदमिदम्।
-x+x-- चिन्तामणि-पार्श्व-स्तवन
राग-परभाती जय जय जय जय पास जिणंद । जय० । जनम नगर वणारसी योको,
कुल इक्खागै कमल दिनंद । जय० ॥१॥ वामादेवी है जसु माता,
नायक आससेन नृपनंद । जय० ॥२॥ नील कमल दल काया निरमल,
चावो लंछन याकै चरण फुणिंद । जय० ॥३॥ तारक तीन भुवन को जगपति,
चरण कमल नमै चौसठ इंद। जय० ॥४॥ भव भव देव सेव मो दीजै,
'अमर' चिंतामणि अधिक आणंद। जय० ॥१॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org