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________________ बम्बई चिन्तामणि पार्श्व - स्तवन चिन्तामणि पार्श्वनाथ - स्तवन । चिन्तामणि चित धार, ए श्रतम आधार । श्राज हो यारो रे, त्रिभुवन तारक ए जगपति जी ॥१॥ सुमता सागर सार, उपसम रस भंडार । आज हो पायो रे, प्रभु पूरव पुन्य पसाय थी जी ॥२॥ पर उपगारी पास, ईहक पूरे श्रास | आज हो पायो रे, मत सागर नागर मनहरूजी ॥ ३ ॥ जुगी जांग जिहाज, परतिख शिवपुर पास। आज हो पायो रे, साचो साहिब हित सुखकरूजी ॥४॥ दीजै भव भव देव, चरण कमल नी सेव । आज हो धारो रे, ए अरज 'अमरसिंधुर' तणीजी ॥५॥ चिन्तामणि सम्यक्त्व - प्रार्थना राग -- कच्छी परभाती तुम्ह दरसण विण मो मन नावा, दह दिस डोलै । दह दिस डोलें रे वाल्हा, दह दिस डोलै । तुम्ह दरसण ०१ रात दिवस न रहै इक रंगै, हींडै हिल्लोलै । तुम्ह० |१| जनम जरा जल लहिर गहिर है, तास न को तोलै । पामै पार न भवदधि भमतां विबुध सु इम बोलै । तुम्ह०१२ | Jain Educationa International ( ७३ ) For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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