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बम्बई चिन्तामणिपार्श्व स्तवन
चिन्तामणि पार्श्व - स्तवन राग --- देशी चौपीनी
"श्री चिंतामणि" जिण जगचंद, कामित दायिक सुरतरु कंद । आससेन कुल उदयो भांग,
अवनी मांझ अखंडित ॥ १ ॥ लोपै नहि को सुर नर लीह,
वड वखती साहिब निर बीह । कर केहर भय दूरै हरें,
निज सेवक ने निरभय करें ॥ २ ॥
सिंह सरप जल बंधन टलें,
रोग शत्रु भय परदा पुलै | राजो रूठो सुप्रसन जोई,
झगडो झूठो कबहु न होइ || ३ ||
सकजो सुत नें सुन्दर नार,
दिन दिन लीला लहै अपार । सुख संपद वाधै त्यां सदा,
( ६६ )
महिरवान ज्यां होवें मुदा ॥ ४ ॥
कांमण टुमण न लागै कदा, अधिक आनंद लहे ते सदा ।
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