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( ६८ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-स्तवन महिर करो महाराज चिंतामणि,
सेवक पर सु निजर कीजै। ओद जुगादि तणौ अलवेसर,
दोस खास कर जांणिजै ।महिर०॥१॥ मैं इक तारी ए मन धारी,
थिर ए साहिब थापीजै । अपणायत आणी नैं साहिब,
सुख संपत नित बगसीजै । महिर० ॥२॥ तारै ते त्रिभुवन जन केते,
गिणतां ज्ञान सो न गिणीजै। तुरीझवार दातार दया निधी,
___ हेत हीयै बहु आणीजै । महिर०॥३॥ पर उपगारी होय रमेसर,
कीरत केती तुझ कीजै। "अमरसिंधुर" ने अपणौ जाणी,
मन वंछित ततखिण दीजै ।महिर०॥४॥
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