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बम्बई चिन्तामणिपार्श्व-स्तवन ( ६७ ) चिन्तामणि-पार्श्वनाथ स्तवन
राग-प्रभाती नित लीजै प्रभु नाम तुहारो। नित० । चिंतामणि चिंतामणि जपतां,
सफल होत है मुझ जमवारो। नित० ॥१॥ नाम नांव चढीयो हुँ निरुपम,
भवसायर से पार उतारो। नित० ॥२॥ वड वखती निज विरुद विचारो,
सेवक नां सुभ काज सुधारो। नित० ॥३॥ मैं हुँ दीन दयानिध तुम्ह हो,
सुगुणा तारक सुगुण संभारो। नित०॥४॥ दास खास जांणी ने दाता,
वाल्हेसर मो वान वधारो। नित०॥॥ "अमरसिंधुर" आणंद वधारो,
तौ ततखिण मन वंछित सारो । नित० ॥६॥
देशी चौपीनी स्वस्ति श्री सुख दायिक सदा, दरि गमाडै दुरितोपदा। तेवीसम जग तारक जांण, बहु विध करीगै तासु वखांण ।१॥
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