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( ५० ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह लघु संसार तणौ गुण लायौ,
सो मेरे मन भायो वारी सो। अनुपम अनुभव अमृत पाने,
मिथ्या विष मिटायौ वारी मि०३। ०। रोचक समकित गुण रो चायौ,
देव निरंजन ध्यायो वारी देव० । अब तो महिर लहिर नौ लटकी,
करतां सुजस सवायो वारी कर०1।। जै० । अपणी जाणी नै अलवेसर,
देव रूप दरसायो वारी देव० । 'अमरसिंधुर' आतम गुण लायो,
चरण सेव चित धायो वारी ।। ०।
चिन्तामणि-पार्श्व स्तवन
राग-वसन्त फाग जै बोलो जै बोलो पास चिंतामणि की, जै बोलो। कुमति कुनारी कझो री न मांनो,
सुमति सुनार मैं इस बोलो । जै बोलो.।। सुमता प्रभुता अतिह सुचंगी,
तास सुभाव अछे भोलो। जै बोलो.।२।
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