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________________ ( ४० ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह चिन्तामणि-अंगी-वर्णन-स्तवन राग-जंगलौ अंगीया सुरंगीया सोहै, मेर मन मांनी सही है। अंगी। अंगी चंगी अति भली, देख्यां दिल हुलसंत । हीयडौ विकसै पुहप ज्यु, दोहग दह दिस जंत । अं०।१। जरकस को जामौ वन्यो, कंठी कसवादार । आगल बंधी अजब गत, छवि अति कंत उदार । अं०।२। कोरदार है केवड़ा, मोपै कहे न जाय । धुंडी कर की सुधरता, दीठां आवै दाय । अं०।३। ग्रह बंधी भल गात है, विच बँटी नवरंग । चाल चलत है चुपकी, सोभा वणी सुचंग । अं०१४। कोर कनारी फाबती, सोभै भली संजाफ।। महाराज की अंगीया, ऐसी है असराफ । अं०।। मणि जडिया सोभै मुकट, कानै कुन्डल सार । बाजु बंधनै बहु रखा, हीय. नव सर हार । अं०।६। फूल बाग विच फबत है, राजत है महाराज । भामंडल आभा भली, तीन छत्र सिरताज । ०।७। वींम चामर दोय दिस, देवल देव विमांन । वाजिये वाजै विवध पर, गुणी करत है गान । अं०1८। नरनारी वन्दन करै, भाव भलै ससनूर । मन मयूर नाटक करत, दुःख दोहग जाय दूर । अं०18 | Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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