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( २२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
सौकड़ली हम संग रमेंगे,
गुणवंती वा भी है गोरी।६।क० । नेम राजुल मिल मुगत सिधाए,
'अमर' रमे हैं सिवसुख होरी ।७। क० ।
नेमिनाथ होरी
राग-फाग सहसावन सरस मची होरी । सहसावन० समुद्र विजै सुत जग स लहीजै,
नेम नगीनो ध्रम धोरी । सहसा०।११ दसे दसार ख. श्राय दह दिस, - राम किसन बंधव जोरी । सहसा०।२। कंवर कोडि मिल मिल के संगी, - आवत है टोरी टोरी । सहसा ॥३॥ शशि वदनी मृग नयणी सुन्दर,
हस श्रावै रमवा होरी । सहसा०।४। छयल छबीली है अलवेली, . गोपी सोल सहस गोरी । सहसा वसंत वेष सब खूब वण्यो है,
रंग सुरंगी है चौंरी । सहसा०।६।
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