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( १६ )बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
नेमि-स्तवन-वर्षा
__राग-वलित मल्हार बरसण लागी काली बदरीया,
झिरमिर झिरमिर लागी झरईया। वर० ।। घोर घटा कर घन गरजत है,
चिहुं दिसि दांमनि चपल चरईया । वर० ॥२॥ मोर झिंगोर करत गिर शिखरन, .... पर नाली बहु नीर परईया । वर०।३। सूती सुन्दर सेज इकेली,
काम संतावत ताप करईया । वर०।४। विरहानल पिउ आय बुझावत,
__ भामणतो. आणंद भरईया । वर० १५॥ जाय सखी समझाय सयांनी,
भोग तजी किम जोग धरईया । वर०।६। सहसा वन जाय संयम लीनों,
'अमर' प्रीति आणंद वरइया । वर०१७) नेमि-राजल-स्तवन-वर्षा
राग-अहाणो मल्हार हां हो लाल परनाली से परै नीर नीर । हो हो.। वरषा बुंदन मैं वाई सक भीजत है चीर चीर ।हां हो.।१॥
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