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________________ बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तपन-संग्रह ( १५ ) गज गमनी शशिवदनी सबही, ज्यं बादल की बीज ।स.४। मैं मंद भागन सब बनिता मझ, विरहन मैं रही भोज । स०५। नेम नाह जो अब घर आवै, 'अमर' सफल हुय तीज । स०६। नेमि-राजुल-स्तवन-वर्षा राग--गहिर मल्हार सहियां सांवण आयो, सखी मोरी, भोरी भाद्रव आयो। मेहरो री वरसै री जीवरी तरस, नेम नगीनो न आयो। सखी मोरी भोरी भाद्रव आयो । किणी।। चमकै दामनि चिहुँ दिस चपला, घोर घटो धन छायो। घन गरजत विरहन री तरजित, मोर झिंगोर मचायो। सखी मोरी भोरी भाद्रव० ।। पिउ पिउ करत पुकार पपियडो, मैं जाण्यौ पिउ आयो। चमकि उठीने चिहुं दिस निरखत, पिउ को दर्स न पायो। सखी मोरी भोरी भाद्रव० ३। गयो गिरनारी भोग विडारी, मैरै वस में नायो। जाय सखी समझाय सयांनी, गढ गिरनारै छायो। सखी मोरी भोरी भाद्रव०।४। सहिसा बन जाय संयम लीनो, मुगति महल सुख पायो। अवचल प्रीत वधी अलवेसर, गुण अमरेसर गायो। सखी मोरी भोरी भाद्रव ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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