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( १४ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
नेमि-राजीमति-स्तवन
राग-गहिर मल्हार सहेली म्हारी आयो श्रावण मास । प्रीतमनी गिरनार पधारे, मो तजीय निरास । सहेली०१। भोग तजी इण जोग भज्यो है, वेरी दे ये सास । सहेली. तोरण आए मो मन भाए, आणी अधिक उल्हास । सहेली०२। पशुभ्र पुकार की पीर पिछानी, वसे सहसा बन वास । सहेली अलवेसर मो तजीय इकेली, वालम देवे सास ।सहेली०३। राज पधारो रंग महिल मै, वसीयै जिम घर वास । सहेली. पिन अवगुण तजीयै किम वनिता, वालम हियडै विमास । स०४। मोपर मोहन महिर घरीजै, सेज रमो सुखवास । सहेली. 'अमर' प्रीत बाधी अलवेसर, वरतै लील विलास । सहेली०५।
नेमि-स्तवन श्रावण तीज
राग-मल्हार सहेली म्हारी आई श्रावण तीज । सब सखियन सिणगार सजत है, मोहि बढत है खीज । स०१। झूलरीयै मिल चलत हैरमझम, दुखरो गयो तिहां छोज ।स०२। मुगुणा नाह निज निज सुंदरी कुं, चोही देत सब चीज । स०३।
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