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________________ ( १२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह नेमि-राजुल-स्तवन राग-सोरठ वसन्त (इस वांभण के छोकरे, मेरे खेलत ककर मारयो लला, इस० कंकर मारयो ने चुरीयां फोरी, बांहीयां पकर झकझोरी लला, इस चाल में छै) इस जादव जादू (जुल्हम ) किया, मेरो चित चोरी कै गयो री लला । इस० । चितरो चोरी ने स्थरो फेरी, गिरवर जोगी भयो री ललो । इस० ॥१॥ नगिनी जोरी भयो ध्रम धोरी, प्रीत रीत नहीं गिनी री लला । इस०१२। नेह की दोरी निगुणै तोरी, नीत रीत इण छिनी रे लला । इस०३। ममता मोरी काम कुं छोरी, मै मन भोरी सुणि री लला। इस०।४। तज गयो गोरी नायो होरी, इसरी सीख किरण दई रे लला । इस श दिल जाय दोरी न रहै ठौरी, नेह कुं खोरी लगाई लला । इस०।६। मैं जाऊँ घोरी प्रीत न तोरी, राजुल नेम सं. मिली री लला । इस०७। न लगी खोरी जुगति जोरी, 'अमर' प्राणंद से मिली री लला । इस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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