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( १३२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवम संग्रह
माल मुस्यो तिण माननी, निधन भयो जब नाह। जनमै जैसे जब भए, लह्यो नहीं कछु लाह । ने.। मेरो.।६। निज पर आए नाह तब, मुझ से कर मन मेल । प्रीत रीत वाधी प्रसिध, खूब मचायो खेल । ने.। मेरो.।। प्रिय प्यारी हिल मिल वस, मुगत महिल में जाय । मुमत त्रिया चेतन सदा,'अमर' आनंद मनाय । ने.। मेरो.।।
मेरो को मान्यो सहीरे.
घेतन-सुमति-गीत
राग-वसन्त
आज आणंद भयो सखी मेरै तो, अधिक लह्यो आणंदा । मन मोहन मेरे अब घर आए, उलसे मन मकरंदा ।आज.१॥ सुविवेक मंत्रीसर वाकै संगी, सोभी साथ कहंदा । अाज.।। आज अम्हारै अंगना ऊगो तो, सुखकर सुरतरु कंदा । आज.३। मोतीयडे मेहडलो बूठौ तो, हरष हीयै हुलसंदा । आज.४॥ पर घरणीसाम्हो नवि पेखें तो, कुमत कपित दुखदंदा । आज.५॥ नाह हमारो निज घर आयो तो, हिल मिल केल करंदा । श्राज.६। परमानंद लहै पिउ प्यारी, विरहन कै गए वृन्दा । आज.७/ चेतनराय नैं सुमति सोहागणि, 'अमर' लहै अनिंदा। आज.।।
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