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भंग नशा-गीत
अमली अपणै घर मझलायो,गलणी चाढने सोझायो। पा४। केसर वरणौ जांण कसंभो, सो खोभा भर भर पायो । अ.१५॥ साकर देकै खार भंजायो, इतरै अमल तुरत आयो । अ.।६। दूणो पोरस देह दिपायो, भोग जोग मैं सुख पायो ।.७/ 'अमल करै सिरदार सवायो,जय लखमीवर घर आयो।अ.
भांग नशा-गीत
राग-फागः भांगडली आज भली आई, भांगडली भां० । पाहडी भांग वखाणत पुरजन, सो पोठां भर भर आई। भां.। १। भला पान वटदार बिराजै, केसर वरणी कहवाई । भा.।२। चोखी जाण चतुरघर लाई, स्याणे नर मिल सांझाई । भां.। ३। भलै ठाम लेनै भिजवाई, साफी घात के निचुवाई। मां.। ४ । घात कुंडी मैं घोट घुमाई, मांहै मिरचां ठेलाई। मां.। ५। छयल मिलि में तुरत छणाई, रंग सुरंग तिहां दिवराई। मां.।६। सौखी साई नाम न भाई, प्याला भर भर में पाई। भां. ७ ॥ घडी दोय से आई धाई, दिल खुस आंखें दरसाई। मां.। ८। रंग तरंग लहर जब आई, मन मस्ताने भए भाई।भा.।। बे परवाही मगन तन मन मैं, ऐसी भांग अजब आई । भां.।१०।
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