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देरांणी-जेठाणी-झगरा
निज बंधव त्रिय निठुरा जाणी,
उन पर ममता कछु न धरी री | ८ | दे० । दोनां कुं देवटो दीनों,
ऊभा न राख्या एक घरी री | ६ | दे० । अपनों राज अमरपुर कीनों,
लखमी लीला सजस वरी री | १० | दे० । पिउ प्यारी बहु प्रीत बढाणी,
मुनिजन ताकी सोह करी री | ११ | दे० ।
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निद्रा त्याग गीत
राग --- फाग
( ११५ )
नींदड़ली को संग नहीं कीजै, नींदड़ली, नींदडली को संग०| रंग में भंग करत है यारो,
छिटक छेह याकुं दीजै । नींदड़ ० | १ |
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5. मोह अनाद काल नों सगपण भाईपणा नो मित्राचार न गिरयौ, ति से स्नेह न गिरयौ ते मोहनी कुमति स्त्री समेत देही थी मोह कुमता काढी देसवटो ते पर परत परही काढी १ घड़ी पिग्ण न राख्या |
६- १०. निज गुण चतुष्टयी धार में अमर शिवनगरे वासौ । बस्यौ राज मुक्ति नगरे की धौ । अनन्त ज्ञान लक्ष्मी तद्रूपी जस चेतन राय विवेक सहित सुमत स्त्री संघाते शिवनगर नौ राज करै ।
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