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भैरव-गीतानि
( १०७)
"गोवरधन" पर महिर निजर कर,
सुणियै एह अरज माला । नित०॥८॥ मुझे सहाय करी दुख हरिगै,
माता चामुन्ड के बालो । नित०॥४॥
भैरव-गीत
राग-फाग ( दे गयौ गिरधारी गारी, ए चाल, राग-काफी में वसंत ) आयो री "भैरव" भूपाला,
ए तो पूजक जन प्रतिपाला रो। भै./प्रा.। . एतो मद छकिया मतवाला री,
भैरव भूपाला ।भै. श्रा.। शत्र नीर सीर के शोषक,
काला महा कंकाला । भगत जनुं की भीर पधारत,
दायक सुर करसाला री।।भै.। आ.। मौजी मणधारी मछराला,
चावा चामुंड वाला । डमरूडाक घूघर घमकाला,
चालै इम चर ताला री।३। भै.। आ.।
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