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( १०६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
भैरव-गीतानि
भैरव-मतवाला-गीत
राग-फाग नित नमियै "भैरव" मतवाला, नित नमियै । समकित अमृत पान के रसिये,
सोहै अरध चंद्र भाला । नित० ॥१॥ कालौ गोरौ महिमा धारी,
____ मरु "मंडोवर" गढ वाला। नित० ॥२॥ उदय करीजें वीर तखत नौ,
"खरतरगच्छ" के रखवाला। नित०॥३॥ तेल सिन्दूर खोल तन सोहै,
कंठ धरै पुहप की माला । नित० ॥४॥ सेवक जन पर करुणा कीजै,
पूरो वंछित ततकाला । नित०॥५॥ वर त्रिशूल डमरू कर शोभित,
तुम दुरजन के मद गाला । नित० ॥६॥ कलियुग में अवतार धरचौ है,
तुम संकर को चर ताला । नित० ॥७॥
क०
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