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( १२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
दादा-गुरु-गीतानि
जिनदत्तसूरि-गीत
राग-बसन्त "श्रीजिनदत्तमरि" सुख दायक, लायक दीजै साता ।श्री.। रात दीह अहिनिश इक रंग, गुण मणि तोरा गाता श्री.।१। अरियण कंद उदालीयै साहिब, अलगी हरो जी असाता । "वल्लभ" ना पटधार वडालो, पालौ पुत्र ज्यं माता । श्री.।२। महिरवान हिव महिर निजर कर, तुम्ह हिज मात नै त्राता। 'अमरसिंधुर' वीनति अवधारी, दीजै वंछित दाता । श्री.३।
दादा श्री जिनकुशलसूरिजी रो छंद (र० सं० १८६१ बम्बई )
(दूहा) विमल वाहिनी वर दीय, महिर लहिर कर मात । गच्छनायक श्री "कुशलगुरु", आंखु जस अवदात ॥१॥ "चंद" पटोधर चंदकुल, प्रगव्यो निमचंद । साचा गुरु देखी सकज, सेवै मुनिजन घुम्द ।।
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