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________________ xxxvi सुगुणचंद के शिष्य हेमविजय तथा चारित्रचंद्र के शिष्य जयविजय की दीक्षा सं० १७५५ माघ बदि ६ को सादड़ी में हुई थी। श्री जयरंग ( जैतसी) आदि उ. पुण्यकलश के शिष्यों की दीक्षा पहले हो चुकी थी। सं० १७०७ से ही दीक्षा नन्दी सूची उपलब्ध है। जयरंग की अमरसेन वयरसेन चौ० सं० १७०० दीवाली जेसलमेर एवं सं० १७२१ का कयवन्ना रास बीकानेर में रत्रित है। दस श्रावकों के गीत एवं दशवैकालिक सर्व अध्ययन गीत सं० १७०७ में रचित है। अब खरतरगच्छ में 'आनंद' नामान्त में दीक्षित यति-मुनियों की संक्षिप्त सूची दी जा रही है। चूरु की दादावाड़ी में मुनि ज्ञानानंदजी के चरण है तथा बीकानेर बैदों के महावीर जिनालय में सं० १८७९ चैत्री पूनम को मुनि ज्ञानानंद प्रतिष्ठित दुरितारि विजययंत्र है। ये उपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी के शिष्य थे। यन्त्र पं० महिमाभक्ति लिखित है। बीकानेर में उनकी परम्परा में धर्मानंदजी का उपाश्रय कहलाता है। क्षेम शाखा के उ. सदानंद शिष्य सौभाग्यचंद्र लिखित जिनहर्ष कृत श्रीपाल रास की प्रति कच्छ के मुनराबंदर में लिखी प्राप्त है (जैन गूर्जरकविओ पृ० ८७ ) हमें जो दफ्तर प्राप्त है उसमें पूर्व नाम गुरुनाम आदि सब उल्लेख है। लेख विस्तारभय से केवल नाम सूची देता हूँ। सं० १७२८ पोष बदि ७ बीकानेर में 'आनंद' नामान्त जिनचंद्रसूरि द्वारा दीक्षित १ सदानंद, २ सुखानंद, ३ गजानंद, ४ नयनानंद, ५ महिमानंद, ६ युक्तानंद। सं० १८०२ जीर्ण दुर्ग (जूनागढ) में दीक्षित-(वै० सु० ४) १ सदानंद, २ हर्षानंद, ३ दयानंद, ४ ज्ञानानंद ५ क्षमानंद ६ महिमानंद ७ सुखानंद । सं० १८५६ मा० सु० १३ सूरत में जिनहर्षसूरि द्वारा दीक्षित १ हेमानंद २ भाग्यानंद ३ दयानंद ४ उदयानंद ५ रत्नानंद ६ गुणानंद ७ ज्ञानानंद ८ राजानंद ९ क्षमानंद १० अभयानंद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003815
Book TitleAnandghan Chovisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj, Bhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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