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________________ (१) श्रीमद् आनंदघनजो नुं दीक्षा समयनु नाम लाभानंद जी हतुं (२) तपा गच्छ मां दीक्षित थया हता (३) जन्मस्थान गाम के प्रदेश, जन्म तिथि के संवत् संबन्धी लेखित हकीकत प्राप्त थती नथी (४) तेओ ना नजीक ना अने साथेना-मुनिवर्यों ए पण लखेला ग्रथो मां आ हकीकत जोवामां आवी नथी इत्यादि १० बातों में लल्लभाई करमचन्द्र दलाल ने नं० तपागच्छ मां दीक्षित थया हता पर 'आमाटे बधु तपासनी जरूर जणाय छे" लिखा है तथा आगे भी कई बातें लिखी है। श्रीमद् आनंदघन जीवनचरित नी रूपरेखा (पृ. १२२ ) में चौवीसी के कुछ शब्दों को उद्धृत करते हुए उन्हें गुजरात में जन्मे हुए सिद्ध करने का असफल प्रयत्न किया गया है जब कि अधिकांश शब्द दोनों देशों में समान रूप से प्रयुक्त होते थे। खासकर सीमावर्ती गाँवों में तो कोई अन्तर था हो तहीं। फिर भी उन्हें गुजरात में जन्मे हुए मान सकते हैं लिखकर पृ० १२५ में श्रीमदे ज्ञान अने वैराग्य योगे कोई तपा गच्छीय मुनिवर पासे साधु ब्रत नीदीक्षा अंगीकार करी हती".. तेओ श्रीए तपा गच्छ मां दीक्षा अंगीकार करी हती अने तेमनु नाम लाभानंदजी हतु"... "पोता ना गुरु नी पेठे तेओ तपागच्छनी समाचारी प्रमाण साधु धमनी आवश्यकादि क्रिया करता हता"। पृ १३१ में सबलपुरावो लिखते हुए-एक वखत श्री तपागच्छ गगन दिवामणि श्री विजयप्रभसूरि विहार करता करता मेड़ता पासे ना गाम मां गया- त्यां श्री आनंदघनजी महाराज नी मुलाकात थई श्रीमद् आनंदघनजीए तप गच्छ ना महाराज श्री विजयप्रभसूरि ने वंदन कयु अने कहयुके आपना जेवा शासन रक्षक सूरि राजा नी कृपा थी हुँ मारा आत्मा नु हित साधवा प्रयत्न करु छु श्री विजयप्रभसूरिजीए श्रीमद् आनंदघनजी ने एक कपड़ो ओढाड्यो अने कय के तमे तमारा आत्मा ना ध्यान मां सदाकाल प्रवृत्त थाओ श्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003815
Book TitleAnandghan Chovisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj, Bhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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