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________________ वांछित फल प्राप्ति हेतु इनका नाम श्रद्धापूर्वक स्मरण करते ही हैं। महोपाध्याय विनयप्रभ रचित गौतम रास गुरु गौतम के प्रशस्ततम गुणगणां का वर्णन करने वालो प्राचोन, अति प्रसिद्ध एवं सवजन पठन योग्य मनाहारो रचना है । इसका भक्तगण प्रतिदिन प्रातःकाल में विधि-पूर्वक पाठ करते हैं। इसकी भाषा प्राचीन गुजराती मिश्रित राजस्थानो होने से सभी लोग इसका सम्यक्तया अय-चिन्तन नहीं कर पाते । इसके प्रामाणिक एवं प्रांजल हिन्दो अनुवाद को अत्यन्त आवश्यकता थी। साथ हो आगम साहित्य ओर कथा साहित्य में पालेखित गौतम स्वामो के प्रामाणिक जोवन चरित को भी अत्यन्त अपेक्षा थी। इन दोनों अपेक्षाओं की पूर्ति महोपाध्याय विनयसागरजी ने "गौतम रास : परिशोलन" नामक इस पुस्तक के माध्यम से सांगापांग एवं विशदता के साथ सम्पादित को है । इस पुस्तक के लेखक महोपाध्याय विनयसागरजी जैनागम, जैन साहित्य एवं प्राकृत भाषा के बहुश्रुत विद्वान हैं । राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा गत वर्ष सम्मानित भी हो चुके हैं । वर्तमान में प्राकृत भारती अकादमी के निदेशक एवं संयुक्त सचिव के दायित्व का सफलता के साथ निर्वहन भो कर रहे हैं। हमें उनको इस “गोतम रास : परिशोलन" पुस्तक को प्राकृत भारती के ४१वें पुष्प रूप में प्रकाशित करते हुए हार्दिक प्रसन्नता है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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