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गौतम रास : परिशीलन में मेरी सेवा सुश्रूषा कर सकेगा।" कुछ समय बाद मरीचि स्वस्थ हो गया।
__एक दिन कपिल नाम का एक कुलपुत्र उसके पास आया । उपदेश के द्वारा उसकी धर्म भावना जाग्रत की और प्रभ के पास भेजा। समवसरण का वैभव और इन्द्रादि सेवित प्रभु के अतिशयों को देखकर वह वापस लौट आया और बोला-"तेरा भगवान तो राज्य लीला भोग रहा है, वहाँ धर्म कहाँ है ? क्या तेरे पास धर्म नहीं है ?"
कपिल के कथन को सुनकर मरीचि ने अनुभव किया कि यह जीव प्रभु के योग्य न होकर मेरे योग्य ही है। अतः झट से कहा-"क्यों नहीं, मेरे पास भी धर्म है।" उसे सन्तुष्ट कर अपना शिष्य बनाया।
कपिल की अपने गुरु मरीचि पर अत्यन्त श्रद्धा और भक्ति थी । वह दिन-रात खड़े पग रहकर उनकी सेवा करता था। मरीचि का भी अपने इस शिष्य पर अत्यन्त स्नेह था। मरीचि और कपिल का प्रेम इतना सघन था कि मानों एक शरीर की दो छायाएँ हों।
सारथि
अठारहवें भव में भगवान का जीव त्रिपृष्ठ वासुदेव के रूप में उत्पन्न हुआ और कपिल /गौतम का जीव त्रिपृष्ठ के सारथि के रूप में।
___शंखपुर प्रदेश की तुगगिरि की गुफा में एक हिंसक सिंह रहा करता था । इस सिंह ने सैकड़ों मनुष्यों का रक्तपान
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