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________________ गौतम रास : साहित्यिक पर्यालोचन ९३ पठन-पाठन अत्यन्त श्रद्धा के साथ किया जाता है । कुल ४७ पद्यों का यह लघुकाय रास अपनी विषयवस्तु के कारण ही विशेष आदरणीय है । इसकी कथावस्तु का सार संक्षेप निम्नलिखित है : 1 भारत क्षेत्र के मगध देश में श्रेणिक राज्य करते थे । इसी मगध में स्थित गुव्वर ग्राम में वसुभूति नामक ब्राह्मण पण्डित रहते थे । उनकी पत्नी का नाम पृथ्वी था । उनका पुत्र इन्द्रभूति रूपवान्, गुणवान एवं विद्यानिधान था । कर्मकांड में निष्णात इन्द्रभूति के ५०० शिष्य थे । इन्द्रभूति को यह अभिमान था कि विद्वत्ता में उनका समकक्ष कोई नहीं है । 1 एक बार महावीर स्वामी पावापुरी पधारे । वहाँ देवों ने उनके समवसरण की रचना की । जिनेन्द्र प्रभु सिंहासन पर विराजे । विमानों पर चढ़कर प्राये देवों ने उनका जय जयकार किया । अभिमानी इन्द्रभूति को कुतूहल हुआ कि "यह जिनेन्द्र है कौन ?” वे शिष्य-समुदाय के साथ वहाँ पहुँचे तो जिनेन्द्र प्रभु का दिव्य प्रभाव देखकर चमत्कृत हो उठे । महावीर स्वामी ने उन्हें नाम लेकर अपने पास बुलाया और वेद मन्त्रों के प्रमाण देकर उनके हृदय का संशय दूर कर दिया । इन्द्रभूति ने तत्क्षण अपने शिष्यों के साथ प्रव्रज्या / दीक्षा ग्रहण की । उनके बाद वीर विभु ने ग्रनुक्रम से ११ अन्य याज्ञिकों को भी दीक्षा दी तथा उन्हें अपने गणधर पद पर प्रतिष्ठित किया । 1 गौतम स्वामी द्वारा दीक्षित जन कैवल्य का वरण कर लेते थे, किन्तु महावीर स्वामी के प्रति अतिशय अनुराग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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