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________________ ( ५६० ) समय सुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि ढाल चउथी - कपूर हुयइ अति ऊजलु रे, एहनी कांनन मांहि काउसग राउ रे प्रसनचंद रिषिराय । ते महं कीधउ केवली रे, ततखिण करम खपाय | १| सोभागी सुन्दर भाव बडउ संसारि, एतउ बीजा मुझ परिवार । दानादिक विण एकलउ रे, पहुँचाहुं वंस उपरि चढ्यउ खेलतउ रे, इलापुत्र केवलज्ञानी महं कीयउ रे, प्रतिबोध्यउ भवपार | २ | सो .| आहोर । अणगार | ४ | सो. | भूख क्षमा बेउ अतिघणो रे, केवल महिमा सुर करई रे, लाभ थी लोभ वाघ घणउ रे, आरण्यउ मन वयराग । कपिल थयउ ते केवली रे, ते मुझ नह सोभाग | ५|सो. | अनिका सुत गछ नउ धणी रे, खीण जंघा बल जाणि । की अंतगड केवली रे, गंगाजलि गुण खाणि | ६ | सो . | परहसहं तापस भयो रे, दीधी गोतम दीख । ततखिण कीधी केवली रे, जउ मुझ मानी सीख | ७|सो. | पालक वाणी* पीलीया रे, खंदक सूरि ना सीस । जनम मरण थी छोडव्या रे, आप चंडरुद्र निसि चालतs रे, दीघा दण्ड प्रहार | नव दीक्षित थय केवली रे, ते गुरु पथि तिणवार || सो. | धन धन रथकार साधु नइ रे, पडिलाभह उल्लासि । मृगलउ भावन भावतउ रे, पहुतउ सुर आवास | १० | सो. | मुझ आसीस ||सो. * पापो, सु Jain Educationa International करतउ क्रूर कूरगडू For Personal and Private Use Only अपार । परिवार | ३ | सो. | www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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