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शत्रु जय रास
(५७७ )
चउथा देवलोक नउ धणी, माहेन्द्र नाम उदारो जी। तिण सेज नउ करावियउ, ए चउथउ उद्धारो जी।६।से। पांचमा देवलोक नउ धणी, ब्रह्मद्र समकित धारो जी। तिण सेत्रंज नउ करावियउ, ए पांचमउ उद्धारो जी ७ से.। भवनपती इंद्र नउ कियउ, ए छट्ठउ उद्धारो जी। चक्रवर्ती सगर तणउ कियउ, ए सातमो उद्धारो जी।से.। अभिनंदन पासइ सुण्यउ, सेज नउ अधिकारो जी।। व्यंतर इंद्र करावियउ, ए आठमउ उद्धारो जी।।। से. चंद्रप्रभ सामि नउ पोतरउ, चंद्रशेखर नांउ मल्हारोजी। चंद्रजसराय करावियउ, ए नवमउ उद्धारो जी।१०।से। शान्तिनाथ नी सुणि देशणा, शांतिनाथ सुत सुविचारो जी। चक्रधर राय करावियउ, ए दसमो उद्धारो जी।११।से.। दशरथ सुत जगि दोपतउ, मुनिसुव्रत सामि बारो जी। श्री रामचन्द्र करावियउ, ए डग्यारमउ उद्धारो जी।१२। से.। पंडव कहइ अम्है पापिया, किम छूटां मोरी मायो जी। कहइ कुंती सेज तणी, जात्रा कियां पाप जायो जी।१३। से.। पांचे पांडव संघ करि, सेज भेट्यउ अपारो जी । काष्ट चैत्य विंव लेपनउ, ए बारमो उद्धारो जी।१४। से। मम्माणी पाषाण नी, प्रतिमा सुन्दर रूपो जी । श्री सेज नउ संघ करि, थापी सकल सरूपो जी।११ से.। अट्ठोतर सउ वरस गयां, विक्रम नृपथी जिवारो जी ।
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