SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 741
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५७२ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि ढाल पहिली-नयरी द्वारामती कृष्ण नरेस एहनी, राग रामगिरि । सेत्रञ्जर नइ श्री पुण्डरीकर, सिद्धक्षेत्र कहुं तहतीक । विमलाचल नइ करूँ प्रणाम, ए सेत्रुञ्ज ना एकवीस नाम ॥१॥ सुरगिरि नइ महागिरि पुण्यरासि', श्रीपद पर्वत इंद्रप्रकासि। महातीरथ पूरबइ सुखकाम, ए सेजुञ्ज ना एकवीस नाम ॥२॥ सासतउ पर्वत नई दृढशक्ति, मुक्ति निलउ तिण कीजइ भक्ति। पुष्पदंत महापद्म सुठाम, ए सेञ्ज ना एकवीस नाम ॥३॥ पृथिवीपीठ सुभद्र केलास, पातालमूल अकर्मक तास । सर्व कामद कीजइ गुण गाम, ए सेत्रुञ्ज ना एकवीस नाम ॥४॥ ए सेव॒ञ्ज नां एकवीस नाम, जपइ जे बइठइ" अपणी ठाम । सेत्रुज यात्रा नउ फल लहइ, महावीर भगवंत इम कहइ ॥५॥ सर्व गाथा ११ दहा सेवजउ पहिलइ अरइ, असी जोयण परिमाण । पहिलउ मूलइ ऊँच पणि, छब्बीस जोयण जाणि ॥१॥ सत्तरि जोयण जाणिवउ, बीजइ अरइ विसाल । वीस जोयण ऊँचउ काउ, मुझ वंदणा त्रिकाल ॥२॥ साठ जोयण त्रीजइ अरइ, पिहुलउ तीरथराय । सोल जोयण ऊँचउ सही, ध्यान धरूं चितलाय ॥३॥ । बैठौ आपणी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy