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केशी प्रदेशी प्रबन्ध
( ५५६)
केशी प्रदेशी प्रबन्ध धन धन प्रयवंती सुकुमालनइ एहनी, ढाल । श्री सावत्थी समोसर्या, पांचसइ मुनि परिवारो जी। चउनाणी चारत्तिया, केशी श्रमण कुमारो जी ।। .. केशी नइ करु वंदना, पारसनाथ संतानो जी। . परदेशी प्रतिबोधियउ, मिथ्यामति अज्ञानोजी २१ के.। आं. श्रावक थयउ चित्र सारथी, ते लेइ गयउ तेथोजी। परदेशी पापी हुतउ, कहइ जीव जुदउ न केथो जी।३। के.। केशी प्रदेशी भेला थया, चित्र प्रपंच थी दोयो जी। प्रश्न उत्तर थया परगड़ा, ते सणजो सहु कोयो जी।४। के.।
.. ढाल बीजी-नींवइयानी प्रश्न करइ परदेशी एहवउ, परलोक मानु केमो जी। जीव नइ कोया ते नहीं जूजुत्रा, इह लोक ऊपरि प्रेमो जी। १ प्र.) दादउ हुँतउ माहरइ दीपतउ, करतउ पाप अघोरो जी। तुम्हारइ वचने ते नरके गयउ, जिहां वेदन छइ जोरो जी। २ प्र.। हुँ पणि तेहनउ अति वल्लभ हुँतउ, ते आविनइ कहतउ जी। पाप म करिजे तुं माहरी परि, दुःख देखिस दुर्दन्तो जी।३ प्र.। केशी गुरु उत्तर कहह एहवउ, सुणि परदेशी रायउ जी। जीव काया छइ बेउ जूजुश्रा, जुगति थकी समझायउ जी। ४ प्र.। केशी गुरु उत्तर द्यइ एहवउ ॥ आंकणी ॥ सुणि परदेशी ताहरी भारजा, सरिकता नामो जी। भोगवतउ देखइ तेहनइ, नरनइ स्यु करइ तामो जी। ५ के.।
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